
रूड़की।आज सुबह रुड़की के निकट कुंजा बहादुरपुर गांव में 1824 के स्वाधीनता संघर्ष के शहीद राजा विजय सिंह जी की प्रतिमा पर सादर पुष्पांजलि अर्पित किए माननीय उपराष्ट्रपति ने।इस अवसर पर एक सभा का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने उस समय अंग्रेज़ तानाशाह की क्रूरता भरी दास्ताँ बयान करते हुए कहा की राजा विजय सिंह को और उनके वीर सेनापति कल्याण सिंह के मृत शरीर को देहरादून जेल के सामने प्रदर्शित कर उनके शरीर का अपमान किया गया।अंग्रेजों ने कुंजा बहादुरपुर किले पर आक्रमण कर दिया। भीषण युद्ध में सैकड़ों वीर गुर्जर सैनिकों ने बलिदान दिया।
सैकड़ों लोगों को एक ही वृक्ष से लटका कर फांसी दे दी गई।
उपराष्ट्रपति ने शहीद राजा विजय सिंह जी की अदम्य साहस की गाथा सुनाते हुए कहा की 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से भी तीन दशक पहले, 1824 तक जब अंग्रेजों ने भारत के एक बड़े भाग पर अधिकार कर लिया तब राजा विजय सिंह के नेतृत्व में रियासत के वीर नागरिकों ने स्वतंत्रता के लिए विद्रोह कर दिया और आजादी की घोषणा कर दी। राष्ट्र के लिए जीवन बलिदान देने वाले राजा विजय सिंह और कुंजा बहादुरपुर के नागरिकों के शौर्य और वीरता की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में आप सबके बीच उपस्थित होकर स्वयं को धन्य मानता हूँ।शहीद राजा विजय सिंह स्मारक एवं कन्या शिक्षा प्रसार समिति द्वारा गांव कुंजा बहादुरपुर (हरिद्वार, उत्तराखंड) में स्वतंत्रता संघर्ष के शहीदों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में माननीय उपराष्ट्रपति।
इस अवसर पर उत्तराखंड की राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्या,मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत,हरिद्वार सांसद और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक,कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत,रूड़की विधायक प्रदीप बत्रा,भगवानपुर विधायक ममता राकेश मंच पे मौजूद रहे।