
शिव की भक्ति से नूर मिलता है
सबके दिलों को सुकून मिलता है
जो भी लेता है दिल से भोले का नाम
उसे भोले का आशीर्वाद जरूर मिलता है
रूड़की।शिवरात्रि का पर्व व्रतों का नरेश कहा जाता है। ‘शिवरात्रि व्रतं नाम सर्व पाप प्रणाशनम’ के अनुसार शिवरात्रि व्रत सर्व पापों को नष्ट करने वाला है। इतना ही नहीं यह व्रत व्रती को कामधेनु, कल्पवृक्ष और चिंतामणि के समान मनोवांछित फल देने वाला है। ‘मुक्ति भक्ति प्रदायकम’ के अनुसार भोगों तथा मोक्ष का प्रदाता है।
ज्योतिष के अनुसार अमावस्या में सूर्य चंद्रमा के समीप होता है अतः उस समय जीवन रूपी चंद्रमा का चित्र रूपी सूर्य के साथ सहयोग होने से इष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है।
शिवरात्रि शिव पार्वती के विवाह का दिन है। शिव पार्वती के मिलन की रात है, शिव शक्ति पूर्ण समरस होने की रात है। इसलिए शिव ने पार्वती को वरदान दिया- ‘आज शिवरात्रि के दिन जहां कहीं तुम्हारे साथ मेरा स्मरण होगा वहां उपस्थित रहूंगा’।
सावन में भगवान शिव की कृपा हर किसी पर बनी रहती है। भोलेनाथ हर किसी के जीवन का कष्ट दूर करते हैं। यही वजह है कि इस महीने में भक्त उनकी पूजा-अर्चना पर विशेष ध्यान देते हैं। शिव भगवान के लिए सावन में शिवरात्रि का दिन बहुत प्रिय है। इस दिन उनकी विशेष विधि के जरिए पूजा की जाती है। इस बार सावन शिवरात्रि 30 जुलाई को है।
भोले की भक्ति में मुझे डूब जाने दो
शिव के चरणों में शीश झुकाने दो
आई है शिवरात्रि मेरे भोले बाबा का दिन
आज के दिन मुझे भोले के गीत गाने दो
जय शिव शंकर। शिवरात्रि पर शुभकामनाएं।