रूड़की। “गुरुब्रह्मा गुरुविर्ष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।।
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, अतः इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होता है अतः इस दिन वायु की परीक्षा करके आने वाली फसलों का अनुमान भी किया जाता है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करता है और उसे यथाशक्ति दक्षिणा,पुष्प,वस्त्र आदि भेंट करता है.शिष्य इस दिन अपनी सारे अवगुणों को गुरु को अर्पित कर देता है, तथा अपना सारा भार गुरु को दे देता है. इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 16 जुलाई को मनाया जाएगा.
नगर विधायक प्रदीप बत्रा कहते हैं कि इस दिन का उनके जीवन में विशेष महत्व है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने माता पिता को ही अपना गुरू माना और उनके बताए पदचिंहो पे चलने की सदा कोशिश करी।इस दिन का महत्व बताते हुए कहते है की सामान्यतः हम लोग शिक्षा प्रदान करने वाले को ही गुरु समझते हैं परन्तु वास्तव में ज्ञान देने वाला शिक्षक बहुत आंशिक अर्थों में गुरु होता है.लेकिन जो शक्ति हमको ईश्वर तक पहुँचायें सच्चे अर्थ में वह ही गुरू है।हम सबको अपने जीवन में किसी को अपना गुरू बनाना चाहिए तथा उनके बताए सच्चे रास्ते का पे चल कर मानव कल्याण के कार्य को करना चाहिए।अपने गुरू का हमेशा आदर सत्कार करें।गुरू पूर्णिमा की सब नगर वासियों को हार्दिक शुभकामनायें।