रूड़की। श्री राधे राधे कृष्ण सेवा समिति राजपूताना द्वारा सभी विधि विधान से राधाष्टमी मनायी गयी।सभी क्षेत्र वासियों ने इसमें जमकर भक्ति भाव से प्रतिभाग किया नगर विधायक प्रदीप बत्रा ने कहा कि राधाअष्टमी स्वयं में एक महापर्व है. शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी के प्राकट्य दिवस के रूप में मान्यता प्राप्त है.
आपको बता दें कि इसी दिन राधा वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं. इसी अष्टमी से कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक का काल सुरैया कहलाता है. सुरैया, यानि वो काल जो जीवन को सुर में ढाल दे. अलग अलग पंथ, संप्रदाय और मत के लोग इसे भिन्न भिन्न नाम से पुकारते हैं, पर कहते हैं कि आत्मजागरण के इस पर्व का प्रयोग राम, परशुराम, दुर्वासा, विश्वामित्र, बुद्ध, महावीर से लेकर आचार्य चाणक्य तक ने किया. प्राचीन काल में उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और नेपाल तक की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक समृद्धि के सूत्र इन षोडश दिवस में समाहित हैं.
भारत के सोने की चिड़िया बनने की चाभी भी यह काल अपने भीतर समेटे और लपेटे हुए है. यांत्रिक, तांत्रिक, वैज्ञानिक, आत्मिक यानि स्वजागरण से लेकर समृद्धि प्राप्ति तक के लिए बेहद असरदार माना जाता है यह पवित्र काल खण्ड.
राधा अष्टमी व्रत का महत्व
कृष्ण प्रिया राधा रानी के प्राकट्य दिवस पर व्रत रखने से भगवान कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। राधा नाम संसार के सभी दुखों को हरने वाला है। मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से धन की कमी नहीं होती और घर में बरकत बनी रहती है।
इस अवसर पर नगर विधायक प्रदीप बत्रा,गौरव गोयल,मयंक गुप्ता,नवीन जैन व अन्य लोग मौजूद रहे