हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय पहुंचे उपराष्ट्रपति, वेद विज्ञान संस्कृत महाकुंभ में कर रहे शिरकत।सीएम धामी,विधायक प्रदीप बत्रा ने किया स्वागत।

हरिद्वार(उत्तराखंड): गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें हिस्सा लेने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ हरिद्वार पहुंचे हैं. कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह भी शिरकत कर रहे हैं.

बता दें महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 जयंती पर हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में वेद विज्ञान एक संस्कृत महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. वेद विज्ञान एक संस्कृत महाकुंभ 23 दिसंबर से 25 दिसंबर तक चलेगा. इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए कई बड़ी हस्तियां पहुंचेंगी. इसी कड़ी में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज हरिद्वार पहुंचे हैं.बता दें इस अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में 800 से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं. देश-विदेश से 700 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुति के लिए प्राप्त हुए हैं. शोध पत्र सारांश की स्मारिका पुस्तक का विमोचन वेद-विज्ञान एवं संस्कृति महाकुम्भ के उद्धघाटन समारोह में किया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के संयोजक डॉ. गगन माटा ने बताया वेद -विज्ञान और संस्कृति महाकुम्भ के अवसर पर आयोजित यह अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी अपने प्रकार के उल्लेखनीय और वृहद आयोजन है. इसमें देश विदेश के वैदिक विद्वान, वैज्ञानिक, शोधकर्ता और अकादमिक विशेषज्ञ एक मंच पर एकत्र होकर विचार-विमर्श और अकादमिक मंथन करेंगे. जिसका लाभ शोध करने वालों के अलावा अन्य को भी मिलेगा.इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि माँ भारती के इस भू-भाग, देवभूमि उत्तराखंड में आना परम सौभाग्य है!इस विश्वविद्यालय का वर्षों से नाम सुनता रहा हूं, आज पहली बार आने का मौका मिला है।नाम से ऊर्जावान होता रहा हूं, आज यहां से एक बड़ा संकल्प लेकर जाऊंगा।गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण व सृजन का प्रमुख केंद्र है।यह स्थान हमारे दर्शन का निचोड़ और प्रमुख केंद्र है।महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और स्वामी श्रद्धानंद के 75वाँ बलिदान दिवस एक महत्वपूर्ण संगम है।इस अवसर पर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के प्रणेता इन मनीषियों की पावन स्मृति में आयोजित यह महाकुंभ, उनके महान जीवन के प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है।इस महाकुंभ के माध्यम से वेद विज्ञान को सशक्त करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।हममें से बहुतों ने तो वेद देखा ही नहीं है। मेरा आग्रह रहेगा कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को वेदों से अवगत कराएं।यह हमारे राष्ट्र-निर्माण के लिए और विश्व के स्थायित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।हमारी नई शिक्षा नीति हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप है।हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए।भारतीयता हमारी पहचान है!राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है।कुछ गिने-चुने लोग देश के प्रति गौरव तो छोड़ ही दीजिए, बल्कि अपनी संस्कृति, गौरवमयी अतीत और वर्तमान विकास को लेकर अपमान का भाव रखते हैं।भारत की महान छवि को धूमिल करने में यह लोग लगे रहते हैं।इनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीयों का परम दायित्व है और कर्तव्य है।ये जो ताकतें,हमारी संस्कृति के विरोध में हैं,राष्ट्रवाद के विरोध में हैं,हमारे अस्तित्व के विरोध में हैं,उन पर प्रतिघात होना चाहिए!भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान-विज्ञान पर विमर्श को बढ़ाना आवश्यक है।वेद विज्ञान महाकुंभ का यह पर्व हमें हमारे प्राचीन ज्ञान और विज्ञान के प्रति गर्व महसूस करने का एक अवसर प्रदान करता है।अक्सर देखा जाता है कि हम भूल जाते हैं कि हम कौन हैं!थोड़ा अंदर झांकेंगे तो पता लगेगा कि विश्व में हमारा मुकाबला करने वाला और कोई देश नहीं है!वो पंच-प्रण क्या है जिनका आह्वान प्रधानमंत्री ने किया है?पहला प्रण है विकसित भारत, दूसरा- गुलामी की हर सोच से मुक्ति क्योंकि कुछ लोग अभी भी अंग्रेजियत के गुलाम हैं। विरासत पर गर्व करना तीसरा प्रण,चौथा- एकता औरपांचवाँ है नागरिकों के कर्तव्य!G-20 आयोजन में सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है।हर विदेशी मेहमान आँख लगाकर भारत की सांस्कृतिक विरासत का आनंद ले रहा था, भारत का सम्मान कर रहा था।यह अत्यंत-अद्भुत गौरवान्वित करने वाला पल था और मुझे भारत माँ का एक पुत्र होने के नाते, कृषक पुत्र के इस पद पर आने की वजह से वो पल देखने का मौका मिला।

मैंने आमंत्रित किया है यहां के छात्र-छात्राओं को नया संसद भवन देखने के लिए।उसमें आप भारतीयता और हमारे सदियों पुरानी संस्कृति की भरपूर झलक देखेंगे!लोकसभा की थीम क्या है? राष्ट्रीय पक्षी मोर!राज्यसभा की थीम है हमारा राष्ट्रीय फूल कमल और प्रांगण में बरगद भी है!हाल के सत्र में इसी माह तीन नए विधान पारित किए गए-भारतीय न्याय संहिता विधेयक,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और
भारतीय साक्ष्य विधेयकअंग्रेजी कानूनों ने हमें जकड रखा था, हमारे लोग पिस रहे थे। उन कानूनों का उद्देश्य था- दंड विधान।भारत की संसद में प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से ‘दंड विधान’ को ‘न्याय विधान’ किया है… यह बहुत ही महत्वपूर्ण है!कुछ पश्चिमी विश्वविद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति और हमारी विकास यात्रा को कलंकित करने में लगे हुए हैं।मेरे मन में कोई शंका नहीं है आपकी विद्वता & संकल्प को देखते हुए कि भारत की संस्कृति कभी नीचे नहीं होगी… आपको उनका प्रतिकार करना चाहिए!

इस महान देश में कुछ लोग हैं, गिने चुने लोग हैं, वे भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं।आप उनकी पाचन शक्ति को ठीक कीजिए… वह हमारे ही हैं भटके हुए हैं!उन्हें मातृ भाषा में समावेशी शिक्षा प्रणाली स्वीकार ही नहीं है! यह कैसी बात है? अब वह दिन दूर नहीं है जब हर शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध होगी।गुरुकुल कांगड़ी जैसे शिक्षा संस्थान ज्यादा नहीं है।आप अद्भुत हैं!आप एक प्रेरणा के स्रोत हैं,राष्ट्रवादी चेतना और चिंतन के केंद्र है!2047 तक भारत न सिर्फ विकसित भारत होगा बल्कि विश्व गुरु की अपनी प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करेगा!मेरे सामने जो छात्र-छात्रायें हैं, वे 2047 के भारत के योद्धा हैं और निश्चित रूप से सफलता अर्जित करेंगे!