रुड़की।नगर विधायक प्रदीप बत्रा की पहल से अब प्रदेश में 50 बेड तक वाले अस्पताल को पंजीकरण शुल्क नहीं देना पड़ेगा।आपको बता दें पिछले साल ही विधानसभा सत्र के दौरान नगर विधायक प्रदीप बत्रा ने इसके सम्बन्ध में विधानसभा में मुद्दा ज़ोरशोर से उठाया था जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने ये बड़ा फेसला लिया है ।आपको बता दें पिछले ही साल विधानसभा सदन में नियम 53के अंतर्गत विधायक प्रदीप बत्रा ने सूचना एंव वक्तव्य की माँग की क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 में राज्य के 50 बैड से कम वाले हॉस्पिटलों को एक्ट के दायरे से बाहर रखने के सम्बन्ध में ।विधायक बत्रा ने कहा राज्य में विगत माह के से क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 लागु होने के सन्दर्भ में राज्य के सभी निजी हॉस्पिटलों एंव सभी चिक्तिस्को के द्वारा इसका विरोध प्रदर्शन एंव हडताल की जा रही है। जिससे राज्य के सभी प्रकार के मरीजों को बहुत अधिक समस्याओं का सामना करना पड रहा है। चूंकि राज्य हजारों ऐसे छोटे हॉस्पिल है जिनको इस एक्ट के तहत स्थापित करना संभव नही है। सभी चिक्तिस्क हरियाणा सरकार के तर्ज पर निरन्तर माँग कर रहै है कि उत्तराखण्ड में भी 50 बैड व इससे कम बैड वाले हॉस्पिटलों को इसके दायरे से बाहर रखा जाए।
ये उत्तराखण्ड के डॉक्टर्स एवं अस्पताल मालिकों के लिए बड़ी खबर,उत्तराखंड में 50 बेड तक वाले अस्पतालों का पंजीकरण शुल्क पूरी तरह माफ किया जाएगा। आपको बता दें कैबिनेट ने इसके लिए क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट ऐक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी है। प्राइवेट अस्पताल लंबे समय से ऐक्ट में संशोधन की मांग को दबाव बनाए हुए थे।
सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि 2015 में बनाए गए ऐक्ट में संशोधन किया गया है। इसके तहत छोटे अस्पतालों को राज्य में प्रोत्साहित करने को पंजीकरण शुल्क माफ किया गया है। 50 बेड और इससे कम बेड वाले अस्पतालों का पंजीकरण शुल्क पूरी तरह माफ रहेगा। इससे राज्य में अस्पतालों की संख्या बढ़ेगी। पांच वर्षों में पंजीकरण से 6.35 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। हर साल 1.27 करोड़ का राजस्व मिला।
सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि 50 बेड से अधिक बड़े अस्पतालों को भी बड़ी राहत दी गई है। पंजीकरण शुल्क के जो पुराने रेट थे, उनमें 90 प्रतिशत तक की छूट कैबिनेट ने मंजूर कर दी है। इस संशोधन के बाद राज्य का इस मद में राजस्व 90 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। हर साल सिर्फ 12.60 लाख प्रति वर्ष मिलेगा। अभी तक एक्ट के 2015 के पंजीकरण रेट को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सबसे अधिक विरोध कर रही थी।