ब्रह्माकुमारीज के तत्वावधान में 87वीं त्रिमूर्ति शिवजयंती महोत्सव समारोह आयोजित।विधायक प्रदीप बत्रा रहे मुख्य-अतिथी।

रुड़की।रुड़की स्थित ब्रह्माकुमारीज के तत्वावधान में  बीके सल्विन बहन की अध्यक्षता में 87वीं त्रिमूर्ति शिवजयंती महोत्सव समारोह डायमंड होटल हरिद्वार रोड पर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर विधायक प्रदीप बत्रा ने ब्रह्मा कुमारी द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की व ध्वजारोहण मे भी भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीके सल्विन बहन ने अपने संबोधन में कहा कि एक ऐसा वक्त जब पशु पक्षी जीव जंतु पेड़ पौधे अपने पुराने कलेवर में बदलाव के दौर पर होते हैं, पेड़ों की टहनियों में अजीब से सुखान के बाद नई-नई कलियों और कोमल पत्तों के साथ नए जीवन की शुरुआत होती है, यह वक्त है भारत को 4 ऋतुओं में सुप्रसिद्ध तथा प्रकृति और पुरुष को तरोताजा कर देने वाली बसंत ऋतु का, यह समय होता है जब सब कुछ नया देखने लगता है नई उमंगों के साथ नई तरंगे भी प्रभावित होने लगती हैं। निश्चित तौर पर यह सत्य है कि जैसे प्रकृति ने इस तरह का बदलाव पुराने वर्ष के अंत और नए वर्ष के शुभारंभ के दौरान आता है, ऐसे ही पूरे सृष्टि चक्र में आत्मा और परमात्मा के बीच भी इसी तरह की घटना घटती है,।परमपिता परमात्मा शिव द्वारा नई सृष्टि की स्थापना का पर्व है शिव अर्थात कल्याणकारी और रात्रि अर्थात अज्ञानता की रात्रि पूरे सृष्टि चक्र में पाठ बजाते बजाते जब मनुष्य अपने स्वधर्म, स्वराज, श्रेष्ठ कर्म को भूला दे, अभिमान एवं मूल्यों के जाल में फंस जाता है, तब परमपिता परमात्मा शिव सृष्टि पर अवतरित होकर उसे दे अभिमान से ऊपर उठाते हुए नए कलेवर, अर्थात आत्मा के 7 गुणों को पुनर्स्थापित करने मानव को देव बनाने का महान कार्य करते हैं। जिसकी यादगार में शिवरात्रि या शिवजयंती आज भी बड़े श्रद्धा पूर्वक तथा अन्य पर्वों के भेंट में भिन्न भिन्न तरीके से मनाई जाती है।बताया कि परमात्मा हम सब आत्माओं के पिता हैं। जिनका नाम शिव है।

 

 विधायक बत्रा ने बताया कि जैसा बीज बोएंगे वैसा फल प्राप्त करेंगे, इसलिए हमें खुशी के बीज बोने हैं तथा जीवन को खुशनुमा बनाना है। इसी प्रकार हमें स्वर्ग धरा पर लाना है तो हमें दिव्य गुणों को अपने जीवन में लाना है। नईदुनिया स्थापना को स्पष्ट रूपरेखा क्या है ज्योति स्वरूप परमपिता परमात्मा से प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सत्तू जी सत्तू प्रधान सृष्टि को स्थापना और शंकर द्वारा कल योगी तमो प्रदान सृष्टि का महाविनाश कराते हैं। कलयुग के अंत में ब्रह्म के तन में प्रवेश करके उसके मुख्य द्वारा ज्ञान गंगा बहाते हैं, इसके इसलिए शिव को गंगाधर भी कहते हैं, और सुधाकर। अर्थात अमृत देने वाला भी कहते हैं। प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा जो भारत माता है, और कन्या गंगाधर से ज्ञान गंगा में स्नान करती अथवा ज्ञान सुधा अमृत का पान करती हैं, वह शिव शक्तियां अथवा अंबा सरस्वती इत्यादि नामों से विख्यात होती हैं। यह चैतन्य ज्ञान गंगा है, ब्रह्मा के मानस पुत्र यही शिव का आदेश पाकर भारत के जन-जन को शिव ज्ञान द्वारा पावन करती हैं।

संस्था की ओर से स्वयंसेवक भाई-बहनों ने परमात्मा शिव के आध्यात्मिक रहस्य,शिव रात्रि के महत्व व चारित्रिक उत्थान से जुड़े स्लोगनों के माध्यम से जन संदेश भी दिया।

कार्यक्रम में बीके रजनी, सुषमा, अनिल कुमार, विश्वास, अमरेश, रेखा, बृजपाल, यशपाल, श्रीगोपालनारसन, बृजभूषण कपिल, सुमन, प्रियंका आदि शामिल थे।

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