म्यूनिक।उत्तराखंड में जैविक खेती के विकास में जर्मनी के विशेषज्ञ मदद करेंगे। उत्तराखंड नेजर्मनी की अग्रणी कंपी ईफोम-ऑर्गेनिक्स इंटरनेशनल के साथ एमओयू साइन किया है। यह एमओयू जर्मनी में हुआ।इस अवसर पर एमडी विनय कुमार,जोईंट डिरेक्टर जीवन न्याल,डिरेक्टर श्री पाठक आदि लोग मौजूद रहे।
उत्तराखंड में जैविक खेती के विकास में जर्मनी के विशेषज्ञ मदद करेंगे।आपको बता दे कृषि मंत्री गणेश जोशी के नेतृत्व में दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 25 जुलाई से यूरोपीय देशों के टूर पर गया हुआ है।
इस दौरान जर्मनी में जैविक कृषि के क्षेत्र में कार्य कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था आईफोम ऑर्गेनिक्स इंटरनेशनल एवं उत्तराखंड सरकार के मध्य समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी ने आईफोर्म के प्रतिनिधियों को उत्तराखंड की पारंपरिक पहाड़ी टोपी पहनाकर अभिवादन किया। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री श्री जोशी ने कहा कि यह समझौता उत्तराखंड में जैविक कृषि के विकास और इस आंदोलन को प्रोत्साहन देने महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मंत्री गणेश जोशी ने आगे कहा कि केवल जर्मनी ही नहीं, बल्कि यह डेलिगेशन रोम, स्विटजरलैंड और फ्रांस देश भी जा रहा है। गणेश जोशी ने कहा कि यह वो देश हैं, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में बेहद प्रगति की है. इस दौरे के दौरान कृषि के तमाम विषयों पर चर्चा की जा रही है और इन देशों में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नोलॉजी पर गहन शोध करने के बाद इन्हें किस तरह से उत्तराखंड के हित में इस्तेमाल किया जाना है, इसकी दिशा में काम किया जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल तीन अगस्त तक जर्मनी, इटली और स्विटजरलैंड का भ्रमण करेगा। एमओयू कार्यक्रम भी इसका अहम हिस्सा होने वाला है।
प्रतिनिधिमंडल में भाजपा से विधायक प्रदीप बत्रा, राम सिंह कैड़ा, रेनू बिष्ट, सुरेश गड़िया और कांग्रेस विधायक हरीश धामी व मनोज तिवारी शामिल हैं।
यह भ्रमण दल यूरोपीय देशों में जैविक कृषि के विकास के लिए अपनाई जा रही आधुनिकतम तकनीकों का अध्ययन करेगी। साथ ही, यह दल प्रदेश में होने वाले मोटे अनाज मडुवा, झिंगौरा, चौलाई इत्यादि के निर्यात के लिए भी संभावनाओं की तलाश करेगा। जर्मनी में आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के साथ-साथ कर्नाटक और सिक्किम का प्रतिनिधिमंडल भी भाग ले रहे हैं।
इस करार का उद्देश्य एवं लक्ष्य कृषि समुदायों के लिए जलवायु परिवर्तन, खाद्य असुरक्षा और अन्य संकटों के लिए लचीलापन बनाने के लिए सकारात्मक प्रभाव लाना है।
अपेक्षित परिणाम-
• जैविक क्षेत्र में हितधारकों विशेष रूप से राज्य के अधिकारियों की क्षमता में वृद्धि • नीति निर्माताओं, विचारवान नेतृत्व और बोर्ड के अन्य हितधारकों द्वारा प्रदान की गयी जैविक कृषि की परिकल्पना हेतु सहयोग प्रदान करना
• सत्त विकास, खाद्य और पोषण सुरक्षा और जलवायु लचीलापन के लिए जैविक कृषि को एक उत्कृष्ठ विकल्प के रूप में स्थापित करना राज्य में ऐसे कृषक समुदाय जहाँ शत्-प्रतिशत कृषक (तलहटी के कृषकों को छोड़कर)
एक एकड़ कृषि भूमि के मालिक हैं, को राहत देना • प्रसांगिक कार्यों के बीच लीवरेज्ड नेटवर्किंग और भागीदारी ।
सामरिक क्षेत्र ( दायरा )
• जैविक कृषि में परिचयात्क पाठयक्रम इतिहास, बाजार विकास जैविक गारंटी प्रणाली (ओजीएस), भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस) नियामक पर्यावरण, नीतियां, पक्ष समर्थन, वैज्ञानिक साक्ष्य – सभी प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण में भी:
• विभिन्न विषयों पर गहन पाठ्यक्रम जैसे
० ओजीएस, ० पीजीएस,
० जैविक का समर्थन करने वाले उपायों पर नीति टूलकिट का उपयोग करने वाली
नीतियां,
० जैविक पर यूरोपीय संघ का विनियमन,
इस अवसर पर आईफोम ऑर्गेनिक्स इंटरनेशनल की प्रेसिडेंट करेन मापुसुआ तथा वाइस प्रेसिडेंट चोड़त्रेश कुमार गांगुली और जूलिया लर्नाड जर्मनी में आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के प्रतिनिधिमंडल ICCOA बंगलोर से निदेशक मनोज मेनन एवं रोहिताश गक्खर के साथ ही कर्नाटक एवं सिक्किम के कृषि मंत्री एवं उनका प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ।
प्रतिनिधिमंडल में भाजपा से विधायक प्रदीप बत्रा, राम सिंह कैड़ा, रेनू बिष्ट, सुरेश गड़िया और कांग्रेस विधायक हरीश धामी व मनोज तिवारी शामिल हैं।